चलो आज कुछ अलग करें बेटियों को सहज करें चलो आज कुछ अलग करें बेटियों को सहज करें
गुज़र रहा है ये सूरज गुरुर में अपने पता नही उसको ढलना है शाम होने तक गुज़र रहा है ये सूरज गुरुर में अपने पता नही उसको ढलना है शाम होने तक
झंझावती हवा भी न तोड़ पाएगी मुझे हर तूफ़ान का उफान कम कर दूँ। झंझावती हवा भी न तोड़ पाएगी मुझे हर तूफ़ान का उफान कम कर दूँ।
तुम ये भूल गयी थी कि तुम्हारे चक्र में मैं भी तो बंधा था ! तुम ये भूल गयी थी कि तुम्हारे चक्र में मैं भी तो बंधा था !
आसमां छूना कोई मुश्किल नहीँ है, बस बुलंद हौसलों के पर होने चाहिये आसमां छूना कोई मुश्किल नहीँ है, बस बुलंद हौसलों के पर होने चाहिये
कोरोना ने खींची जो लक्ष्मणरेखा उसके पार नहीं हमें जाना है कोरोना ने खींची जो लक्ष्मणरेखा उसके पार नहीं हमें जाना है